Saturday, 29 December 2012

भारत में जो महिलाये ब्यूटी पार्लर में अपनी रोज मर्रा की जिन्दगी बिताती है ऐसी सपेद्पोश ब्राम्हण महिलाये इन दिनों महिलाओ पर अत्त्याचार हो रहा ऐसा राग लाप रही है!मैंने अभी अभी मनुस्मृति पर बृहद किताब लिख डाली है और मुझे बड़ा अचरज हो रहा है की ब्राम्हण बनिया महिलाये अब टीवी पर आकर अपनी आवाज बुलंद कर रही है।परन्तु वह महिलाये किसे दोष दे रही है?उनकी चर्चा उसी तरह है जैसे सोडा व्हिस्की या रम जैसी!मुझे उनकी बात में कोई तुक नजर नहीं आता ।उन महिलाओ को मनुस्मृति और पुष्यमित्र शुङ्ग नजर नहीं आता।भारत में यही सबसे बड़ा दर्द है की साप छोड़ देते है और जमीन को पिटते रहते है!मेरे कुछ सवाल है -ब्राम्हण बनिया मीडिया अचानक महिलाओ का हमदर्दी बनकर आया है।क्या उनके चर्चा में कभी एक बार भी ब्राम्हणों के धर्मग्रंथो का जिक्र आया?जो ब्राम्हण महिलाये आज delhi कुछ दिनों से तमाशा कर रही है उस समय जब डॉ .बाबासाहेब आंबेडकर हिन्दू कोड बिल पारित करने जा रहे थे तब नेहरू के इशारे पर उस बिल का विरोध यही ब्राम्हण महिलाये कर रही थी ।बाबासाहेब ने सविंधान के द्वारा सारे अधिकार दिए है जो मनुस्मृति ने नकारे थे!ब्राम्हणों ने ब्राम्हण महिलाओ को भी नहीं छोड़ा उन्हें भी शुद्र घोषित किया!हे ब्राम्हणों तुम्हे इस बात पर गर्व है की मनु कहता है की महिलाये पाप की खान है?मनुस्मृति महिलाओ को बोली लगाकर बेचने की अनुमति देता है इस पर तुम्हे गर्व है?मनुस्मृति महिलाओ को किसी भी तरह की आज़ादी नहीं देती इस पर गर्व है?दुनिया की सारी गालियो की किताब मनुस्मृति का समर्थन करके ब्राम्हण महिलाये किसका विरोध कर रहे है?ममता शर्मा तो सेक्सी शब्द का अर्थ सौन्दर्य ही ढूंड रही है।ब्राम्हण महिलाये जो कह रही है की उनके महिलाओ का शोषण जो होता है वह यौन शोषण होता है,इस बात से हम सहमत नहीं है।ब्राम्हण बनिया महिलाओ का शोषण जो हो रहा है वह उन्ही की करतूत है!फिल्मो में ,विज्ञापनों में ,ब्राम्हण महिलाये nagi होती है तब उन्हें घुस्सा नहीं आता ।सारे ब्राम्हण बनिया मीडिया में पूनम पांडे जैसी लडकिया नंगी हो जाती है तब भी उन्हें कोई परहेज नहीं होता!माधूरी के सेक्स कारनामे,और शिल्पा शेट्टी के अंतरराष्ट्रीय kiss के लफड़े इस से क्या सभ्यता का दर्शन होता है?भारत की आम महिला जिन्हें दो समय की रोटी के लिए दिन रात काम करना पड़ता है उनके समस्या की जड़ मनुस्मृति है!बड़े बड़े होटलों में तथा पब में जाकर जिन्दगी के मजे उडाने वाले आज आन्दोलन तथा स्रि मुक्ति की बोली बोल रहे है ऐसा लगता की अब बांज तथा हिज़ड़े भी क्रांति करने के लिए delhi ले सडको पर उतरेंगे !!!!

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