Friday 28 December 2012


3 साल पहले मै बोरीवली के कान्हेरी cave को देखने गया।यह गुफाये हमारे नाग वन्शियोने बनायीं है।पुरतत्व विभाग इसके तरफ जान बुजकर अनदेखा कर रहा है!यहाँ के शिलालेखोको को पढ़कर मुझे मेरे नाम का पता चला।खरात यह अप्भंश शब्द है,मूल शब्द क्षत्रप है इसी से kshaharat बना और बाद में है इसी से खरात बना!यहाँ की नागवंशियो की मुर्तियो को देखकर मुझे बहुत हर्ष हो रहा था।उनके बिच खड़ा होकर मैंने फोटो भी किच और तब मै यह महसूस कर रहा था की मै उन्ही के बीच का हु।उसके साथ साथ मुझे इस बात का अहसास हुआ की हमारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारियाँ है ,भारत के मूलनिवासी बहुजनो को विदेशी ब्राम्हणों से आजाद कराना है और उसी कार्य के लिए हमारा जीवन है।जय मूलनिवासी!!!

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