Friday 12 April 2013

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Updated 44 minutes ago
फुले वाडा (महल ) पर राष्ट्रपिता जोतीराव फुलेजी के जयंती के अवसर पर भारत मुक्ति मोर्चा का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था ..पिछले साल भी यह कार्यक्रम हुआ था. परन्तु इस साल पूना के समाजवादी ब्राम्हनो ने यह कार्यक्रम न हो इसके लिए खुद उस जगह पर कब्ज़ा किया .भाई वैद्य के द्वारा उस जगह पर कब्ज़ा किया गया .वही भाई वैद्य जिसने नामांतर के आन्दोलन में षड़यंत्र किया और नामान्तर की मांग करनेवाले नागपुर के लोगो को गोली से मरने का आदेश दिया .भाई वैद्य के हाथ खून से रंगे हुए है वह फुले -आंबेडकर को अभिवादन करेगा? पूना के समाजवादी ब्राम्हणों के षड़यंत्र को हमने समयके पहलेही जान लिया और फुले महल के नजदीक हमने राष्ट्र पिता जोतीराव फुलेजी की जयंती मनाई .यह कार्यक्रम बड़े पैमाने पर सफल हुआ .जिसमे मैंने बात rakhi. दूसरी ओर फुले महल में समाजवादी ब्राम्हणों को ४-५ बुड्ढ़े ही सुन रहे थे. यह बात ध्यान में रखो मूलनिवासियो की राष्ट्रपिता जोतीराव फुले जी ने कहा है की मेरे मर जाने के बाद मेरे मृत देह पर विदेशी ब्राम्हणों की और उनके दलालों की परछाई भी नहीं पड़नी चाहिए .यह सन्देश हमें आज भी याद रखना चाहिए!जय मूलनिवासी !!! (आखरी का फोटो पूना के समाजवादी ब्राम्हणों की असली तसवीर )
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