Friday, 12 April 2013
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Updated 44 minutes ago
- Ravindra Rane, Rohit Walke, Jagannath Virkar and 12 others like this.
Sunday, 7 April 2013
ilas Kharat added 13 photos.
5 minutes ago · मूलनिवासी सन्देश -
हड़प्पा मोहेजोंदारो नगरो का धर्म बौद्ध धर्म !-
हा! यह सुनकर कई लोगो को आश्चर्य होगा परन्तु यही सही है।ब्राम्हण इस देश में आने के पहले भारत के लोगो की एक परंपरा थी सभ्यता थी।सिद्धार्थ बुद्ध ने यही परम्परा को आगे चलाया इसी लिए तथागत बुद्ध श्रमण परंपरा के अग्रणी है।
सिन्धु सभ्यता में जो योगी की मूर्ति (शील्ड )है यह शंकर भगवान की है यह कहना गलत है।शंकर तो अवैदिक था उसके नाम का ब्राम्हण इस्तेमाल करके अपनाही वर्चस्वा स्थापन करते है।खास कर आरएसएस के लोग वह शंकर की मूर्ति कहकर उसका ब्राम्हानीकरण करते है .इतनाही नहीं विदेशी ब्राम्हणों ने सिधु के नगरो को नष्ट किया इसलिए ऋग्वेद में इंद्र को पुरंदर याने पुर अर्थात नगरो को नष्ट करनेवाला कहा गया है।वह जो मूर्ति है वह शंकर की नहीं है इसके प्रमाण 1)-उस मूर्ति के गले में नाग नहीं है,हात में त्रिसुल नहीं है ,शिव का वाहन नंदी है अर्थात बैल है वह भी वहा नहीं है।
2)जबकी हिन्दू धर्म के अनुसार भैसा अपवित्र है और वह उसमे दिखाया है,इतनाही नहीं बल्कि उसमे उस योगी के सर पर भैसे का मुकुट दिखाया है।भैसा का मुकुट आदिवासी खास समारोह में पहनते है और हर हिन्दू (sc st obc ,)शादी के समय जिसे मराठी में बाशिंग कहते है उसका अर्थ ही भैसे का मुकुट धारण करना यह होता है।इस से मूलनिवासी बहुजन ब्राम्हणों के खिलाप वाला प्रतिक धारण करते है यह सिद्ध होता है।जबकि ब्राम्हण वह धारण नहीं करते।उस योगी के निचले छोर में दो हिरन और बिच में धम्म चक्र का प्रतिक है।यह प्रतिक तथागत बुद्ध के शिल्पों में भी पाए जाते है।इससे यह प्रमाणित हो गया की वह योगी प्रथम बुद्ध है।योग भी बुद्धो का ही है उसे भी ब्राम्हण अपने बाप की जागीर समजते है।ब्राम्हणों के पास धर्म नाम का शब्द भी नहीं है वह तो चुराया हुआ शब्द है।वह भी हमारा है।
3)-तथागत बुद्ध के पहले 27 बुद्ध हुए है।यह काल्पनिक नहीं इसे इतिहास है।श्रीलंका के दिपवंस ,महावंस नामक ग्रन्थ में इसके नाम मिले है।
4)-तथागत बुद्ध जब पहली बार 500 भिक्कू ओ के साथ अपने गाव कपिलवस्तु गए तब उनके पिता राजा सिधोदन ने उन्हें भिक्कू बनाना छोड़कर राज्य करने को कहा ,जब सिद्धार्थ बुद्ध ने नहीं कहा तब उन्हें हमने तुम्हे जन्म दिया है हमारा भी तुम पर हक़ है यह जोर देकर बताया। तब बुद्ध ने पिता को नम्रता से जवाब दिया की भले ही मेरा जन्म आपके घर हुआ हो मगर मेरा जन्म यह बुद्धो की परम्परा में हुआ है।सिद्धार्थ बुद्ध ने श्रमणों की महान विरासत को याद किया।सिद्धार्थ बुद्ध के वचनों में कई बार बुद्ध पूर्व बुद्ध कनक बुद्ध का जिक्र बार बार आता है।यह कनक बुद्ध कोई काल्पनिक नहीं है इनके याद में सम्राट अशोक ने शिलालेख भी बनाया है जिसमे बुद्ध पूर्व बुद्ध ऐसा उनका जिक्र है।इसे पुरातत्वीय आधार है।
5)-सिन्धु घाटी में जो बर्तन मिले उसपर पीपल के पत्ते के चिन्ह है !
6)-सिन्धु सभ्यता में पाया गया बुद्ध को प्रथम बुद्ध कहते है।इसे पशुपतिनाथ भी कहते है।पशुपतिनाथ यह बुद्ध का खास विशेषण है।बुद्ध सारे प्राणी मात्रा पर करुणा करते है इसलिए पशुपतिनाथ!
7)-यह पोस्ट इतनाही चर्चा के लिए काफी है अगले पोस्ट में स्वस्तिक यह चिन्ह में बतायेगे की यह ब्राम्हणों का नहीं है।ऐसे कई प्रतिक है जो विदेशी ब्राम्हानोने चुराए है।उनपर अगले पोस्ट में लिखेंगे ।
Thursday, 4 April 2013
http://www.facebook.com/robin.abhyankar नामक ब्राम्हण ने एक पोस्ट मुझे शेयर किया जिसका हिंदी भाषिक लोगो को पता हो इसलिए कुछ बाते यहाँ पर लिख रहा हु।लिखा ब्राम्हणों ने और नाम बताया बैकवर्ड व्यक्ति का यही तो हातखंडा होता है ब्राम्हणों का।शीर्षक एस तरह है-ब्राम्हणों को गालिया क्यों देते हो?.वास्तव में यह गलत प्रचार किया जाता है की हम ब्राम्हणों को गाली देते है।गाली क्या होता है?जैसे की -गांडू ब्राम्हण ,बहेनचोद ब्राम्हण ,भोसडिका ब्राम्हण ,xxx ,xxx ,xxxxxxxxxxxx
ऐसा हम लोग लिखते है क्या ?बोलते है क्या?सबूत दो।वास्तव में ब्राम्हण कितने नीच हरकत पर जा सकते है इसके हर दिन के हजारो नहीं लाखो साबुत दे सकते है।हम क्या कहते है जरा बताते है-3 %विदेशी bramhanone भारत के लोकतंत्र पर कब्ज़ा किया।अल्पसंख्यांक विदेशी ब्राम्हणों ने sc ,st ,obc को हिन्दू कहा यह हिन्दू शब्द भारतीय भाषा का शब्द नहीं है यह संस्कृत भाषा का भी शब्द नहीं है यह हिन्दू शब्द गीता,रामायण,महाभारत या किसी भी पुराण में नहीं मिलता।हिन्दू शब्द विदेशी मुगोलो ने भारत के गुलामो को दी हुयी गाली है जिसका अर्थ गुलाम ,चोर,काला ,डाकू होता है।अब सवाल है जब यह शब्द दिया जा रहा था तब ब्राम्हणों ने खुद को हिन्दू मानने से इंकार किया था।और ब्राम्हणों ने मुगलों को अपनी बहु,बेटिया को भोगने के लिए दिया।अकबर के राज्य में ब्राम्हणों का ही कब्ज़ा था।इसी लिए जो ब्राम्हण 150 साल के अंग्रेजो के गुलामी के खिलाप आन्दोलन कर रहे थे वाही ब्रम्हां मुगलों के खिलाप कोई भी आन्दोलन नहीं कर रहे थे .क्यों?और आज वाही ब्राम्हण लोकतंत्र में अल्संख्यांक है और देश का pm और mp mla भी ब्रम्हां जाती के वोट पर नहीं हो सकता एस लिए वह शिवाजी नगर में आकर कहता है की गर्व से कहो हम हिन्दू है!अगर ब्राम्हण sc ,st obc को हिन्दू अर्थात गुलाम भी कहता है और उन्हें गुलाम होने का गर्व कहता है और इससे कोई भी प्रतिक्रिया नहीं होती क्यों की ब्रम्हां इसे धर्म के नाम पर बताता है।और अल्पसंख्यांक विदेशी ब्राम्हण 3%होने के बावजूद केंद्र बैठा है,nayapalika पर कब्ज़ा करता है सिल्याबस पर कब्ज़ा करता है ,मिलट्री पर कब्ज़ा करता है ,विश्वविद्यालयो पर कब्ज़ा करता है,कार्यपालिका,मिडिया पर कब्ज़ा करता है क्या है यह?लोकतंत्र यह तो ब्राम्हण तन्रा है!यही न हम लोग बताते है।ब्राम्हण ठग होता है,बदमाश होता है,लुच्चा होता है,लफंगा होता है,भाई भाई में झगड़ा लगानेवाला होता है ,षड्यंत्रकारी होता है ,उसके एक नहीं करोडो करोडो गुण है।उनके गुण बताना यह गाली नहीं है!
उस लेख में कोण कोण अच्छे ब्रम्हां है उनके नाम बताये है -वि।डा सावरकर!-इनके बारे में क्या बताये? जो संडास से भागा इस लिए वह संडास वीर हुआ!pl deshpandey,करंदीकर ,खांडेकर,सेनापति बापट,नानासाहेब गोरे ,अत्रे और बहुत सरे विद्वान् ब्रम्हां जो 3%ब्राम्हणों का कब्ज़ा करने में सक्रीय थे उन्हें हम गर्व से स्वीकारे?संभव नहीं है।एक बार पेरियार जी ने गाँधी को कहा की की यह ब्राम्हणी धर्म में हम बहुसंख्य लोगो को शुद्र बनाये रखा और ब्राम्हणों को उच रखा यह ब्राम्हणी उच्च नीच वाला धर्म ही नष्ट कर देना चाहिए .तब बनिया गाँधी ने कहा की नहीं नहीं।ब्राम्हण इतने तो बुरे नहीं होते .ब्राम्हणों में भी भले आदमी होते है।पेरियार जी ने उन्हें पुछा कोण कोण भले ब्राम्हण है इसकी लिस्ट तो बताओ?गाँधी फस गए मग सोचने के बाद उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले का नाम बताया।पेरियार बोले आप जसे महात्मा को केवल मात्र 1 ही ब्राम्हण भला मिला?तो मुज जैसे शुद्र को कहा दिखाई देगा?गाँधी को नंगा किया!आज वाही ब्राम्हण छत्रपति शिवाजी महाराज और मासाहेब जिजाऊ का चरित्रहनन करते है और उस बदनामी के समर्थन के लिए जी जान लगते है!यही ब्राम्हणों के अच्छाई का सबुत है?naypalika में बैठे ब्रम्हां भी उस बदनामी का समर्थन करते है यही उनके अच्छाई का सबूत है?,यही विदेशी ब्राम्हण देश भर में बम्ब विस्फोट करते है और बेगुनाह मुसलमानों को इसका जिम्मेदार टहराते है यही उनके अच्छाई का सबूत है?शाहू महाराज ने सही कहा था की आठ दिन मै पुना में रहकर मेरी यह राय बनी है की ब्राम्हण नाम के जानवर कभी भी सुधर नहीं सकते!
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