अजन्ता मेरा गाव है जह पर मैंने बहुत सालो बाद मेरे पुरखो की विरासत को देखा समजा महसूस किया .अभ मुझे मरे लोगो से बिचादने का गम है .विदेशी ब्राम्हणों ने बौद्ध धर्म को खत्म करने के लिए हिंसा किया और हम,हमारी महान सभ्यता के रक्षक को भी मार डाला.विदेशी ब्राम्हणों का वर्चस्वा यह हिंसा से है.ऐसे समय ब्राम्हणों से अहिसा से जवाब नहीं दिया जा सकता.क्या करना चाहिए?यह एक जनमत का कार्यक्रम है!आप अपनी राय बताईये विश्लेषण करके.जय मूलनिवासी!! —
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