Thursday, 8 March 2012

यह है सारनाथ का वह यादगार स्मारक जिसे दुनिया कभी नहीं भूलेंगी.मै जब सारनाथ गया तो मुझे वह ख़ुशी महसूस हो रही थी की पूछो मत! २५०० साल बाद भी हम लोग बुद्ध से अपरिचित कैसे रह सकते है? पुष्यमित्र शुंग के प्रतिक्रांति के बाद हमारे प्रेरणास्थान दबे गए थे,मगर आज हम हमारी महान विरासत को जान चुके है! ३ प्रतिशत विदेशी युरेशायी ब्राम्हणों को खदेड़ दो,जिन्होंने हमारा महान राजा सम्राट अशोक का प्रपोत्र सम्राट ब्रीहदतकी हत्या किया.जो लोग इतिहास से सबक नहीं लेते उन्हें इत्तिहास सबक सिखाता है. अपनी महान विरासत को समझो और देश को विदेशी विदेशी युरेशायी से आजाद करो यही कह रहे है यह स्मारक यही पर मैंने सम्राट अशोक का वह शिलालेख भी पढ़ा जिसमे अशोक ने कहा था की पाटलिपुत्र में तीसरी संगती में जो कानून बनाया गया है उसका अगर पालन नहीं हुआ तो भिकुओ को भी दंड दिया जायेगा..........! अभ सवाल यह है की कोनसा कानून बनाया था?सम्राट अशोक ने ६० हजार भिकू बने ब्राम्हणों को भिकू संग से बाहर निकल दिया था.फिर अगर किसी ने ब्राम्हणों को भीकू संघ में लेने की जुर्रत की तो उसे कठोरतम शिक्षा अर्थात मौत की सजा सुनाई थी.इस इतिहास की गवाह देती यह विरासत !जय मूलनिवासी.


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