डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जब राज्यसभा में थे, तब वें
संसद सत्र शुरू होणे के पेहले ही अपनी जगह पर
जाकर बैठ जाते थे! और जब जाते थे
तो बडी बडी किताबे उनके हाथ में होती थी! उन
किताबों में से रेफरन्स बताकर अपनी बात रखते थें!
एक दिन, बाबासाहब अपनी जगह पर बैठे थे, और
संसद सत्र शुरू होने ही वाला था! उसी वक़्त
जवाहरलाल नेहरू पीछे से आ रहे थे! बाबासाहब
का ध्यान सामने किताबोंमें था! तो नेहरू जब बाबसाहब
के नाजदिक आये तो उन्होंने उनके सर पर
जो गांधी टोपी हुवा करती थी, उस टोपी को,
बाबासाहब के सिर पर रख दिया! बाबासाहब का ध्यान
किताबों मे आगे की तरफ था, तो किसने इस् तरह
की हरकत की, ये देखने के लिये वो पीछे मुड गये
तो पीछे नेहरू थे! और ये सब कुछ वहा मौजूद
परभणी (पाथरी) के MP दे. ना. कांबळे देख रहे थे!
तो बाबासाहब ने नेहरू को जवाब दिया, ““MR
NEHRU, POLITICS IS A GAME FOR
YOU, BUT IT IS A MISSION FOR ME.”
संसद सत्र शुरू होणे के पेहले ही अपनी जगह पर
जाकर बैठ जाते थे! और जब जाते थे
तो बडी बडी किताबे उनके हाथ में होती थी! उन
किताबों में से रेफरन्स बताकर अपनी बात रखते थें!
एक दिन, बाबासाहब अपनी जगह पर बैठे थे, और
संसद सत्र शुरू होने ही वाला था! उसी वक़्त
जवाहरलाल नेहरू पीछे से आ रहे थे! बाबासाहब
का ध्यान सामने किताबोंमें था! तो नेहरू जब बाबसाहब
के नाजदिक आये तो उन्होंने उनके सर पर
जो गांधी टोपी हुवा करती थी, उस टोपी को,
बाबासाहब के सिर पर रख दिया! बाबासाहब का ध्यान
किताबों मे आगे की तरफ था, तो किसने इस् तरह
की हरकत की, ये देखने के लिये वो पीछे मुड गये
तो पीछे नेहरू थे! और ये सब कुछ वहा मौजूद
परभणी (पाथरी) के MP दे. ना. कांबळे देख रहे थे!
तो बाबासाहब ने नेहरू को जवाब दिया, ““MR
NEHRU, POLITICS IS A GAME FOR
YOU, BUT IT IS A MISSION FOR ME.”