हरी नरके के दलाली हद हुयी !
हरी नरके को लोग फुले -अम्बेडकरवादी मानते थे अब लोगो को पता चल गया की हरी नरके फुले अम्बेडकरवादी नहीं है बल्कि वह भांडारकरवादी है !रात दिन नरके ब्राम्हणों के तलवे चाटने का काम करते है !इस लिए उन्हें ब्राम्हण पुरस्कार भी देते है और अलग अलग कमिटियो पर लेते है ,लेकिन इस तरह के चरणचाट लोगो की कोई भी अहमियत अब लोगो में नहीं है !
हरी नरके ने सरस्वती को अपनी माँ की तरह मानकर पूजन शुरू किया तथा महात्मा राष्ट्रपिता जोतीराव फुलेजी का अपमान किया और मोहनदास करमचंद गाँधी की पूजा किया !पुन करार का हरी नरके समर्थन भी करते है पुन करार से केवल राजनितिक दलाल -भड़वे ही नहीं पैदा हुए बल्कि उससे बौद्धिक वेश्यागिरी करनेवाले भी पैदा हुए !
हरी नरके को लोग फुले -अम्बेडकरवादी मानते थे अब लोगो को पता चल गया की हरी नरके फुले अम्बेडकरवादी नहीं है बल्कि वह भांडारकरवादी है !रात दिन नरके ब्राम्हणों के तलवे चाटने का काम करते है !इस लिए उन्हें ब्राम्हण पुरस्कार भी देते है और अलग अलग कमिटियो पर लेते है ,लेकिन इस तरह के चरणचाट लोगो की कोई भी अहमियत अब लोगो में नहीं है !
हरी नरके ने सरस्वती को अपनी माँ की तरह मानकर पूजन शुरू किया तथा महात्मा राष्ट्रपिता जोतीराव फुलेजी का अपमान किया और मोहनदास करमचंद गाँधी की पूजा किया !पुन करार का हरी नरके समर्थन भी करते है पुन करार से केवल राजनितिक दलाल -भड़वे ही नहीं पैदा हुए बल्कि उससे बौद्धिक वेश्यागिरी करनेवाले भी पैदा हुए !